मीनापुर। कौशलेंद्र झा
एक बूढ़ा सड़क किनारें कुआं में गिर कर चिल्ला रहा था। सड़क से जा रहें एक शिक्षक की उस पर नजर पड़ी। बूढ़ा चिल्लाया, बचाव ़ ़ ़। शिक्षक बोले भाई, आज मेरे विद्यालय में जांच होने वाली है। तुमको बचाने में बिलम्ब हुआ तो मैं खुद फस जाउंगा। यह कहतें हुए शिक्षक वहां से चले गये। थोड़ी देर बाद एक पंडितजी उसी राह से गुजर रहे थे। बूढ़े ने आबाज लगाई, बचाव ़ ़ ़। पंडितजी ने झांक कर देखा और कहने लगे भाई, मैं जानता हूं तुम बहुत कष्ट में हो। मैं तुम्हारे लिए ईश्वर से प्रार्थना करुंगा। किंतु, इस वक्त मैं बहुत जल्दी में हूं। मेरे यजमान का मुहूर्त निकला जा रहा है। कुछ देर बाद एक मौलबी साहब आए। बूढे ने फिर गुहार लगाई, बचाव ़ ़ ़। मौलबी साहब बोले भाई, मेरे नमाज का वक्त हो चुका है। अल्लाह तेरी मदद जरुर करेगा। वह बूढ़ा अब हताश हो चुका था। वह अपना सिर पिटने लगा। कु आं से बाहर आने क ा कोई उपाए सूझ नही रहा था। अचानक उसने देखा कि सड़क से पुलिस के एक अधिकारी जा रहें हैं। बूढ़े ने फिर आबाज लगाई, बचाव ़ ़ ़ बचाव ़ ़ ़। पुलिस अधिकारी रुक कर कु आं में झांके और कहने लगे ़ ़ ़ भाई, मैंने पहले भी कई लोगो को कुआं से बाहर निकाला है। पर, तुम्हें नही निकाल सकता हूं। क्योंकि, यह मेरा एरिया नही है। बूढ़े के कुआं में होने की खबर मिलते ही घटनास्थल पर सबसे पहले पहुंचने का दावा करने वाले पत्रकारजी कुआं पर पहुंच गये। खबर पर नजर पड़ी तो बाईलाईन स्टोरी का ख्वाब स्वभाविक था। सोचने लगे कि आज मेन पेज जरुर मिल जायेगा। इस उम्मीद में पत्रकारजी ने बूढ़े से सवाल पूछा ़ ़ ़भाई, इस कुआं में तुम कैसा महसूस कर रहें हो? सरकार और प्रशासन के बारे में क्या कहना? कुआं से निकल कर आंदोलन के लिए कौन सी पार्टी ज्वाईन करोगे? बूढ़ा हताश होकर रोने लगा। बूढे को रोता हुआ देख पत्रकारजी कैमरा निकाले और कहने लगे पहले अपना दोनो हाथ सिर पर रखो तब रोना। एक्सक्ल्यूसिव फोटो बनेगा। कल के अखबार का मेन पेज देख लेना। अखबार में खबर छपते ही नेताजी कुंआ का मुआईना करने पहुंच गए। देखते ही देखते भीड़ इकट्ठा हो गई। नेताजी ने बूढ़ा के कुआं में गिरने की जांच सीबीआई से कराने की मांग करते हुए कहा कि बूढ़े के परिजन को तत्काल दस लाख रुपये का मुआवजा मिले और परिवार के एक सदस्य को सरकारी नौकरी दिया जाये। नेताजी ने आगे कहा कि जब तक उनकी सभी मांगे पुरी नही होती, तब तक इसी कुआं के समीप धरना जारी रहेगा।
एक बूढ़ा सड़क किनारें कुआं में गिर कर चिल्ला रहा था। सड़क से जा रहें एक शिक्षक की उस पर नजर पड़ी। बूढ़ा चिल्लाया, बचाव ़ ़ ़। शिक्षक बोले भाई, आज मेरे विद्यालय में जांच होने वाली है। तुमको बचाने में बिलम्ब हुआ तो मैं खुद फस जाउंगा। यह कहतें हुए शिक्षक वहां से चले गये। थोड़ी देर बाद एक पंडितजी उसी राह से गुजर रहे थे। बूढ़े ने आबाज लगाई, बचाव ़ ़ ़। पंडितजी ने झांक कर देखा और कहने लगे भाई, मैं जानता हूं तुम बहुत कष्ट में हो। मैं तुम्हारे लिए ईश्वर से प्रार्थना करुंगा। किंतु, इस वक्त मैं बहुत जल्दी में हूं। मेरे यजमान का मुहूर्त निकला जा रहा है। कुछ देर बाद एक मौलबी साहब आए। बूढे ने फिर गुहार लगाई, बचाव ़ ़ ़। मौलबी साहब बोले भाई, मेरे नमाज का वक्त हो चुका है। अल्लाह तेरी मदद जरुर करेगा। वह बूढ़ा अब हताश हो चुका था। वह अपना सिर पिटने लगा। कु आं से बाहर आने क ा कोई उपाए सूझ नही रहा था। अचानक उसने देखा कि सड़क से पुलिस के एक अधिकारी जा रहें हैं। बूढ़े ने फिर आबाज लगाई, बचाव ़ ़ ़ बचाव ़ ़ ़। पुलिस अधिकारी रुक कर कु आं में झांके और कहने लगे ़ ़ ़ भाई, मैंने पहले भी कई लोगो को कुआं से बाहर निकाला है। पर, तुम्हें नही निकाल सकता हूं। क्योंकि, यह मेरा एरिया नही है। बूढ़े के कुआं में होने की खबर मिलते ही घटनास्थल पर सबसे पहले पहुंचने का दावा करने वाले पत्रकारजी कुआं पर पहुंच गये। खबर पर नजर पड़ी तो बाईलाईन स्टोरी का ख्वाब स्वभाविक था। सोचने लगे कि आज मेन पेज जरुर मिल जायेगा। इस उम्मीद में पत्रकारजी ने बूढ़े से सवाल पूछा ़ ़ ़भाई, इस कुआं में तुम कैसा महसूस कर रहें हो? सरकार और प्रशासन के बारे में क्या कहना? कुआं से निकल कर आंदोलन के लिए कौन सी पार्टी ज्वाईन करोगे? बूढ़ा हताश होकर रोने लगा। बूढे को रोता हुआ देख पत्रकारजी कैमरा निकाले और कहने लगे पहले अपना दोनो हाथ सिर पर रखो तब रोना। एक्सक्ल्यूसिव फोटो बनेगा। कल के अखबार का मेन पेज देख लेना। अखबार में खबर छपते ही नेताजी कुंआ का मुआईना करने पहुंच गए। देखते ही देखते भीड़ इकट्ठा हो गई। नेताजी ने बूढ़ा के कुआं में गिरने की जांच सीबीआई से कराने की मांग करते हुए कहा कि बूढ़े के परिजन को तत्काल दस लाख रुपये का मुआवजा मिले और परिवार के एक सदस्य को सरकारी नौकरी दिया जाये। नेताजी ने आगे कहा कि जब तक उनकी सभी मांगे पुरी नही होती, तब तक इसी कुआं के समीप धरना जारी रहेगा।
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