मीनापुर कौशलेन्द्र झा
बिहार: इंसानों के शरीर से ट्यूमर निकलने की घटनाएं आम है, लेकिन पटना जिले के मोकामा कस्बा में एक महिला के शरीर से हर 15-20 दिनों में एक सूई निकलती है।शरीर से निकल रही सूइयों की लंबाई चार से आठ सेंटीमीटर है। लड़की के शरीर से मार्च 2011 में पहली सूई निकली थी और तब से यह सिलसिला जारी है। अब तक 20 सूइयां निकल चुकी हैं। घटना शिवनार गांव की है और लड़की का ज्योति है और उसकी उम्र 18 साल है।
परिजनों ने बताया कि अब तक 20 सूइयां निकल चुकी हैं। तीन अब भी अंदर हैं। परिजनों ने कहा कि पंद्रह से बीस दिनों में एक सूई शरीर से बाहर आती है। इस दौरान उसे असहनीय पीड़ा झेलनी पड़ती है। इनमें से एक सूई गले में है।
दर्द के कारण लड़की का खाना-पीना भी छूट गया है। साल 2011 में तत्कालीन मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने ज्योति को खुद जनता दरबार से पीएमसीएच भिजवाया था। इलाज भी चला, लेकिन परेशानी दूर नहीं हुई। सूई निकलने से पहले तेज जलन होती है। फिर दर्द शुरू होता है। स्किन पर काला धब्बा हो जाता है। 5 दिनों में सूई नजर आने लगती है। 10-15 दिनों में बाहर आ जाती है। ये अमूमन मोटे कपड़ों की सिलाई में काम आने वाली हैं।
ज्योति की रहस्यमय बीमारी से उसका परिवार परेशान है। पिता अशोक रविदास मजदूरी करते हैं। पैसे की तंगी से इलाज नहीं हो पा रहा है। मां उमा देवी ने कहा कि कोई उपाय नजर नहीं आता। इलाज के लिए उसे फिर पीएमसीएच रेफर किया गया है। चार बहनों और एक भाई में ज्योति दूसरे नंबर पर है। किसी प्रकार की मदद नहीं मिली तो परिजनों ने दोबारा जनता दरबार में जाना चाहा लेकिन सुरक्षाकर्मियों ने अंदर नहीं जाने दिया।
पीएमसीएच में एनीस्थीसिया विभाग के डॉक्टर अशोक कुमार ने कहा कि शरीर में सूई बनना संभव नहीं है। लगता है कि लड़की ने खुद कभी इन सूइयों को निगल ली हो या किसी तरह से ये सूइयां उसके शरीर में डाली गई हों।
बिहार: इंसानों के शरीर से ट्यूमर निकलने की घटनाएं आम है, लेकिन पटना जिले के मोकामा कस्बा में एक महिला के शरीर से हर 15-20 दिनों में एक सूई निकलती है।शरीर से निकल रही सूइयों की लंबाई चार से आठ सेंटीमीटर है। लड़की के शरीर से मार्च 2011 में पहली सूई निकली थी और तब से यह सिलसिला जारी है। अब तक 20 सूइयां निकल चुकी हैं। घटना शिवनार गांव की है और लड़की का ज्योति है और उसकी उम्र 18 साल है।
परिजनों ने बताया कि अब तक 20 सूइयां निकल चुकी हैं। तीन अब भी अंदर हैं। परिजनों ने कहा कि पंद्रह से बीस दिनों में एक सूई शरीर से बाहर आती है। इस दौरान उसे असहनीय पीड़ा झेलनी पड़ती है। इनमें से एक सूई गले में है।
दर्द के कारण लड़की का खाना-पीना भी छूट गया है। साल 2011 में तत्कालीन मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने ज्योति को खुद जनता दरबार से पीएमसीएच भिजवाया था। इलाज भी चला, लेकिन परेशानी दूर नहीं हुई। सूई निकलने से पहले तेज जलन होती है। फिर दर्द शुरू होता है। स्किन पर काला धब्बा हो जाता है। 5 दिनों में सूई नजर आने लगती है। 10-15 दिनों में बाहर आ जाती है। ये अमूमन मोटे कपड़ों की सिलाई में काम आने वाली हैं।
ज्योति की रहस्यमय बीमारी से उसका परिवार परेशान है। पिता अशोक रविदास मजदूरी करते हैं। पैसे की तंगी से इलाज नहीं हो पा रहा है। मां उमा देवी ने कहा कि कोई उपाय नजर नहीं आता। इलाज के लिए उसे फिर पीएमसीएच रेफर किया गया है। चार बहनों और एक भाई में ज्योति दूसरे नंबर पर है। किसी प्रकार की मदद नहीं मिली तो परिजनों ने दोबारा जनता दरबार में जाना चाहा लेकिन सुरक्षाकर्मियों ने अंदर नहीं जाने दिया।
पीएमसीएच में एनीस्थीसिया विभाग के डॉक्टर अशोक कुमार ने कहा कि शरीर में सूई बनना संभव नहीं है। लगता है कि लड़की ने खुद कभी इन सूइयों को निगल ली हो या किसी तरह से ये सूइयां उसके शरीर में डाली गई हों।
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