चूहा-बिल्ली के खेल में उलझे राजनीतिक बयानवीर

कौशलेन्द्र झा 

नेताओं के बारे में हमेशा कहा जाता है कि वे जमीन से जुड़े होते हैं। हर नेता स्वयं भी यही साबित करने की कोशिश करता है कि वही सबसे ज्यादा जमीन से जुड़ा नेता है। हम सभी आम जन यह मानते आए हैं कि जमीन से जुड़े होने का मतलब नेताओं का आमजन और उनकी समस्याओं, हित अहित से जुड़ाव से होता है। लेकिन चुनावों के दौरान हमें हकीकत पता चलती है कि इसका मतलब तो यही होता है कि अपने कार्यकाल में किसी नेता ने जमीन से अपने स्वार्थ के लिए कितना कमाया।
अब देखिए न नेताओं के बीच आजकल जिस तरह चूहे बिल्ली का खेल चल रहा है, उसकी जड़ें जमीन में ही हैं। खेल की शुरुआत गुजरात में मोदी सरकार द्वारा अडानी-अंबानी जैसे उद्योगपतियों को नगण्य दामों पर जमीन देने के कांग्रेस के आरोपों से हुई, जिसके जवाब में भाजपा को एक अमेरिकी अखबार वाल स्ट्रीट जनरल ने एक बड़ा मुद्दा याद दिला दिया।
अखबार के मुताबिक कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी के दामाद प्रियंका गांधी के पति रॉबर्ट वाड्रा जमीन का लेनदेन करते हुए कुछ ही वर्षों में एक ही वर्ष में एक लाख से तीन सौ करोड़ रुपए से ज्यादा के मालिक बन गए। अखबार में यह छपने के बाद से भाजपा हाथ धोकर सोनिया गांधी परिवार के पीछे पड़ गई। यहां तक कि दामादश्री के नाम से एक छोटी फिल्म ही बना डाली। साथ ही वाड्रा के कारनामों पर एक बुकलेट भी जारी कर दी।
भाजपा के इन हमलों का जवाब सोनिया गांधी और राहुल ने तो नहीं दिया लेकिन पति पर हमलों के जवाब में प्रियंका गांधी मैदान में उतरी और यहां तक कह बैठीं कि चुनाव में तिलमिलाए भाजपा नेता चूहों की तरह बिल से बाहर निकल आए हैं और हमारे परिवार पर निजी हमले करने लगे हैं। प्रियंका के बयान पर भाजपा नेताओं ने भी पलटवार किए और निजी हमलों के बयानों का नया दौर प्रारंभ हो गया। व्यक्तिगत आरोप-प्रत्यारोप किस हद तक लगेंगे यह नेता शायद स्वयं भी नहीं जानते। तृणमूल कांग्रेस के राज्यसभा सांसद डेरेक ओ ब्रायन द्वारा भाजपा के प्रधानमंत्री पद के प्रत्याशी नरेंद्र मोदी को कसाई कहना तो यही साबित करता है। हालांकि बाद में देश के ऊलजलूल बयानबीर लालू यादव ने भी ब्रायन के समान मोदी को कसाई कहते हुए ट्वीट किया। इसके पूर्व जम्मू कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्री फारूक अब्दुल्ला ने एक बयान देते हुए कहा कि मोदी को वोट देने वालों को समुद्र में डूब मरना चाहिए। वे भाजपा नेता गिरिराज सिंह के बयान का जवाब दे रहे थे, जिसमें कहा गया था कि मोदी के खिलाफ वोट करने वालों को पाकिस्तान भेज देंगे। गिरिराज के इस बयान पर पुलिस में एफआईआर दर्ज हुई और गिरफ्तारी की नौबत तक आई।
देखा जाए तो चुनाव ही वो काल है जब हमें नेताओं की असली औकात सामने दिखाई देती है। इस अवसर पर नेता इतने घटिया स्तर पर उतर आते हैं जिसकी कल्पना भी नहीं ‍की जा सकती। आम जनता लाचारी के साथ इन बयानवीरों को देखती रहती है। वह करे भी तो क्या। उस पर ये नेता (आडवाणी गुजरात में) कहते हैं कि वोट डालना अनिवार्य किया जाना चाहिए। ईवीएम में नोटा के विकल्प को भी हल नहीं माना जा सकता। हल तो सिर्फ यही है कि नेता अपना आचरण सुधारें और भारतीय संस्कृति के अनुसार देश को पुराना सम्मान और गौरव लौटाने के प्रयास करें।

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