मीनापुर कौशलेन्द्र झा
पूरे देश में मुसलमानों की स्थिति दलितों से भी बदतर है। किसी राष्ट्र का मौलिक कर्तव्य सबको बराबरी का हक देना होता है। ये बातें सोमवार को राजधानी के मौर्या होटल में जस्टिस राजिंदर सच्चर ने कहीं। वे तौहिद एजुकेशनल ट्रस्ट की ओर से ‘बिहार में अल्पसंख्यक मुसलमानों के शैक्षिक, आर्थिक और सामाजिक उत्थान’ विषय पर आयोजित सेमिनार में भाग लेने आए थे
जस्टिस सच्चर ने कहा कि कमेटी द्वारा रिपोर्ट पेश करने के बाद बिहार में मुसलमानों के हालात में बदलाव हुए हैं। पिछले कुछ सालों में सुधार भी हुआ है। अगर कोई सरकार अल्पसंख्यकों को बराबरी का हक नहीं दे सकती, तो वहां समावेशी विकास संभव नहीं। उन्होंने बाबरी विध्वंस को लोकतंत्र का काला दिन करार दिया और कहा कि सरकार का कोई कौम नहीं होता। कोई भी धर्म एक-दूसरे से खुद को श्रेष्ठ प्रमाणित नहीं करता। जो धर्मनिरपेक्षता के खिलाफ है वह संविधान के खिलाफ है और उसे देशद्रोही भी कहा जाए तो गलत नहीं। उन्होंने दंगे के बाद क्षेत्र विशेष के अध्ययन के बाद आई रिपोर्ट का हवाला दिया और कहा कि पुलिसिया जिम्मेदारी संभालने में अल्पसंख्यकों की संख्या बढ़ाई जानी चाहिए। उन्होंने मुस्लिम समुदाय से महिलाओं की शिक्षा में भागीदारी बढ़ाए जाने की अपील की। जस्टिस सचर ने कहा कि अल्पसंख्यक मुसलमान राष्ट्र के विकास में उतना ही भागीदारी रखते हैं, जितना बहुसंख्यक हिंदू व अन्य समुदाय। कार्यक्रम में मगध विश्वविद्यालय के कुलपति डॉ. मो. इश्तियाक ने कहा कि सच्चर कमेटी ने देश में अल्पसंख्यक मुसलमानों के वास्तविक सूरत-ए-हाल को यथावत प्रस्तुत किया। यह काबिल-ए-तारीफ है। मुख्य अतिथि मौलाना मजहरुल हक अरबी व फारसी विवि के कुलपति प्रो. एजाज अली अरशद ने कहा कि सच्चर कमेटी की सिफारिशों के बाद हालात सुधरे हैं। बिहार में हाल के दिनों में अल्पसंख्यक छात्रों को प्रोफेशनल कोर्स में भी वजीफे मिलने शुरू हुए हैं।
पूरे देश में मुसलमानों की स्थिति दलितों से भी बदतर है। किसी राष्ट्र का मौलिक कर्तव्य सबको बराबरी का हक देना होता है। ये बातें सोमवार को राजधानी के मौर्या होटल में जस्टिस राजिंदर सच्चर ने कहीं। वे तौहिद एजुकेशनल ट्रस्ट की ओर से ‘बिहार में अल्पसंख्यक मुसलमानों के शैक्षिक, आर्थिक और सामाजिक उत्थान’ विषय पर आयोजित सेमिनार में भाग लेने आए थे
जस्टिस सच्चर ने कहा कि कमेटी द्वारा रिपोर्ट पेश करने के बाद बिहार में मुसलमानों के हालात में बदलाव हुए हैं। पिछले कुछ सालों में सुधार भी हुआ है। अगर कोई सरकार अल्पसंख्यकों को बराबरी का हक नहीं दे सकती, तो वहां समावेशी विकास संभव नहीं। उन्होंने बाबरी विध्वंस को लोकतंत्र का काला दिन करार दिया और कहा कि सरकार का कोई कौम नहीं होता। कोई भी धर्म एक-दूसरे से खुद को श्रेष्ठ प्रमाणित नहीं करता। जो धर्मनिरपेक्षता के खिलाफ है वह संविधान के खिलाफ है और उसे देशद्रोही भी कहा जाए तो गलत नहीं। उन्होंने दंगे के बाद क्षेत्र विशेष के अध्ययन के बाद आई रिपोर्ट का हवाला दिया और कहा कि पुलिसिया जिम्मेदारी संभालने में अल्पसंख्यकों की संख्या बढ़ाई जानी चाहिए। उन्होंने मुस्लिम समुदाय से महिलाओं की शिक्षा में भागीदारी बढ़ाए जाने की अपील की। जस्टिस सचर ने कहा कि अल्पसंख्यक मुसलमान राष्ट्र के विकास में उतना ही भागीदारी रखते हैं, जितना बहुसंख्यक हिंदू व अन्य समुदाय। कार्यक्रम में मगध विश्वविद्यालय के कुलपति डॉ. मो. इश्तियाक ने कहा कि सच्चर कमेटी ने देश में अल्पसंख्यक मुसलमानों के वास्तविक सूरत-ए-हाल को यथावत प्रस्तुत किया। यह काबिल-ए-तारीफ है। मुख्य अतिथि मौलाना मजहरुल हक अरबी व फारसी विवि के कुलपति प्रो. एजाज अली अरशद ने कहा कि सच्चर कमेटी की सिफारिशों के बाद हालात सुधरे हैं। बिहार में हाल के दिनों में अल्पसंख्यक छात्रों को प्रोफेशनल कोर्स में भी वजीफे मिलने शुरू हुए हैं।
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