मीनापुर कौशलेन्द्र झा
कोशिश तो की बहुत, पर मुलाकात नही हुई। अफसोस है की उनसे कभी बात नही हुई।
दुनिया सो रही है, हो के बेखबर। मेरी बहुत दिनो से कोई रात नही हुई।
चुप हो गये मेरे अश्को को देख कर वो लोग। जो कह रहे थे की इस बरस कोई बरसात नही हुई।
लिखी है मैने कितनी गज़लें तेरी याद में। मगर अफसोस है की तुझसे कभी बात नही हुई।
कोशिश तो की बहुत, पर मुलाकात नही हुई। अफसोस है की उनसे कभी बात नही हुई।
दुनिया सो रही है, हो के बेखबर। मेरी बहुत दिनो से कोई रात नही हुई।
चुप हो गये मेरे अश्को को देख कर वो लोग। जो कह रहे थे की इस बरस कोई बरसात नही हुई।
लिखी है मैने कितनी गज़लें तेरी याद में। मगर अफसोस है की तुझसे कभी बात नही हुई।
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